दोस्तो रामायण में यह लिखा हुआ है की माता सीता ने हनुमान जी को कलयुग तक अमर रहने का वरदान दिया था और यह भी बरदान दिया था की वो एक ही समय पर अनेकों जगह पर उपस्थित रह सकते हैं । ऐसा माना जाता है के धरती पर जहाँ भी राम नाम का सुमिरन किया जाता है वहां वीर बजरंग बली पहुँच जाते हैं फिर चाहे भेष बदलकर ही पहुंचे लेकिन पहुँच जाते है । आज हम ऐसे सबूत लेकर आये हैं जिनसे यह 100 प्रतिशत साबित हो जाएगा की हाँ हुनमान जी जीवित हैं और धरती पर ही कहीं न कहीं विचरण कर रहे हैं । इसके साथ साथ यह भी साबित करेंगे की हनुमान जी कोई बन्दर नहीं हैं यह सही ज्ञान की कमी के कारण सभी ने मान लिए हैं इसको बदलना होगा और सभी को अपने धर्म की सही जानकारी देनी होगी इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़े और अपने सवाल कमेंट में जरूर लिखें ।
हनुमान जी को बन्दर कहा जाता है सबसे पहले आप जान लें की वानर का मतलब बन्दर नहीं होता है वानर का अर्थ होता है वन में विचरण करने वाला यानी की जो जंगल में रहता है । वैज्ञानिकों ने भी ऐसी प्रजातियों के बारे में रिसर्च की है जिनकी शारीरिक बनावट बिलकुल हनुमान जी जैसी या रामायण में दर्शाये गए वानरों के जैसी थी । वैज्ञानिकों के मुताविक इस प्रजाति के लोग दक्षिण भारत में और श्रीलंका के जंगलों में रहते थे अब ये प्रजाति विलुप्त हो चुकी हैं । वानर कुल के लोगों के पास सुपर पवार होती थी और इनका शरीर एक पहलवान के समान होता था और हनुमान जी का जन्म इसी वानर कुल में हुआ था। हाँ यह मान सकते हैं की वानर कुल के लोगों के फेस की बनावट बन्दर के समान होती थी लेकिन वह बन्दर नहीं थे। अब बात करते हैं हनुमानजी के चिरजीवी होने के सबूतों के बारे में
हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में वानर कुल में हुआ था । लंका विजय के बाद श्रीराम ने कई वर्षों तक अयोध्या पर राज किया हनुमान जी की राम भक्ति देखकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दे दिया । धीरे धीरे त्रेता युग की समाप्ति हो गई और भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम जी अपने वैकुण्ठ लोक वापस लौट गए यानी की श्रीराम ने अपना शरीर त्याग दिया इस बात से हनुमान जी बहुत दुखी हुए और वो भी दक्षिण भारत की ओर निकल गए । उन्होंने निश्चय किया की वो अब जंगलों में ही रहेंगे उनकी यात्रा के दौरान वो एक कबीले में कुछ दिनों के लिए रुके थे । इस कबीले के लोगों ने हनुमानजी की बहुत सेवा की उनकी सेवा भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमानजी ने उन्हें आत्म ज्ञान दिया। आत्म ज्ञान वह दिव्य ज्ञान है जिससे आपको अपने वर्तमान , भविष्य और भूतकाल सबका पता चल जाता है और ये भी पता चल जाता है की अगले जन्म में आप कहाँ होओगे और पिछले जन्म में आप कहाँ थे । उस कबीले के लोगों ने हनुमान जी से यह आग्रह किया की वो समय समय पर वापस लौटकर उनके आने वाली पीढ़ी को भी यह आत्म ज्ञान दें । हनुमान जी ने इस कबीले के लोगों के वचन दिया की वे हर 41 साल में एक बार आत्म ज्ञान देने आएंगे । बहुत सालों तक इस कबीले के बारे में किसी को पता ही नहीं था लेकिन कुछ सालों पहले विदेशी वैज्ञानिकों ने इस कबीले को ढूंढ निकला । उस कबीले के लोगों ने बताया की हर 41 साल के बाद एक वानर रूपी आदमी हमारे कबीले में आता है । उस कबीले के पास से संस्कृत भाषा में लिखे ताम्रपत्र भी मिले हैं।पूरी दुनिया से कटकर रहने के बावजूद भी उस कबीले के लोगों का रहन सहन , संस्कृति और बुद्धि किसी संत से कम नहीं । कबीले के लोगों ने यह भी बताया की वो उनके पूर्वजों को एक मंत्र दिया था और कहा था की यदि तुम इस मंत्र का जाप करोगे तो मैं रौशनी से भी तेज गति से प्रकट जाऊंगा।
त्रेता युग में हुई थी रामायण उसके बाद आया द्वापर युग जिसमें हुई थीं महाभारत। महाभारत ग्रन्थ को ध्यान से पढ़ने पर पता चलता है की हनुमानजी महाभारत की समय पर भी थे । महाभारत ग्रन्थ में कई बार हनुमानजी का जिक्र किया गया है । द्वापर युग में हनुमान जी ने एक बार अर्जुन का घमंड तोडा था और एक बार भीम का घमंड तोडा था । इन दोनों कहानियों का उल्लेख महाभारत में दर्ज हैं । महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्णा के कहने पर हनुमानजी ने अप्रत्यक्ष रूप से अर्जुन के रथ पर विराजमान रहकर पूरे युद्ध के दौरान अर्जुन की रक्षा की थी अगर हनुमान जी अर्जुन की रक्षा नहीं करते तो कर्ण उन्हें कब का मार देता ।
3. कलयुग में तुलसीदास जी को दिए दर्शन
द्वापर युग के समाप्त होने पर आया कल युग और इस युग में भी हनुमानजी के जीवित होने के पुख्ता सबूत मिलते हैं । सन 1600 में तुलसीदास जी के समय हनुमानजी ने उन्हें साक्षात् दर्शन दिए थे उन्हें रामायण लिखने के लिए प्रेरित किया था । तुलसीदास जी एक अज्ञानी मनुष्य थे फिर उन्होंने रामायण जैसा ग्रन्थ कैसे लिखा यह एक सोचने वाली बात है। दरअसल हनुमानजी ने उन्हें भी दिव्य ज्ञान प्रदान किया था जिससे वो इस काबिल बन पाए और उन्होंने रामायण जैसा महा ग्रन्थ लिख डाला। नहीं तो उन्हें कैसे पता चला की त्रेता युग में क्या हुआ था । इसी प्रकार बहुत से संतों ने हनुमानजी के दर्शन का दवा किया है जैसे सत्य साई बाबा , स्वामी रामदास , नीमकरोठी बाबा , राघवेंद्र स्वामी और ऋषि माधवाचार्य । ये सभी संत बहुत ही सिद्ध हैं और इनकी शक्तिया देखकर देश विदेश के लोग उनसे प्रभावित हुए हैं । नीमकरोड़ी बाबा के फॉलोवर में सबसे बड़े नाम फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग का है ।
अभी तक तो हो गई भारत की बात अब जरा अमेरिका की बात करते हैं अमेरिका में लोगों ने बहुत बार मानव रूपी एक विशालकाय जीव को देखा है जिसे उन्होंने बिग फीट का नाम दिया है और अमेरिका में माया सभ्यता जो कि हजारों साल पुराणी है वो एक मंकी गॉड की पूजा करती हैं इस मंकी गोंड की प्रतिमा दिखने में एकदम हनुमानजी जैसी ही लगती है।
श्रीलंका में प्रसिद्ध सीता अमान मंदिर समुद्रतट के पास ही है। ऐसा माना जाता है कि सीता अम्मन मंदिर ठीक उसी जगह पर बनाया गया है जहाँ पर पूर्व में अशोक वाटिका थी। इसी स्थान पर रावण ने माता सीता को रखा था। मंदिर के नीचे एक जल धारा नदी है, जिसके किनारों पर भगवान हनुमान के बड़े-बड़े पैरों के निशान आज भी मौजूद हैं। यही पर भगवान हनुमान ने श्रीरामजी की अंगूठी सौंपने के लिए देवी सीता को सौंपने के लिए खड़े हुए थे।
दोस्तों इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको यकीन हो गया होगा की हनुमानजी आज भी धरती पर ही हैं और इसी कारण से माना जाता है की कलयुग में हनुमानजी सबसे ज्यादा सुनने वाले देवता हैं । अगर सच्ची श्रद्धा से उन्हें पूजा जाए तो वह भक्त की रक्षा करने क्षण में प्रकट हो जाते हैं ।







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