जब अचानक 400 साल तक गायब हो गया केदारनाथ मंदिर, जिसने भी देखा उसके होश उड़ गए।


केदारनाथ धाम का मंदिर जब बना था तब भारत के साथ-साथ दुनिया भर से भगवान शिव को मानने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में मौजूद अदभुत ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए बहुत कष्टों के साथ कई महीनों तक पैदल चलकर दर्शनों के लिए आते थे लेकिन यह मंदिर अचानक एक दिन सबकी नजरों से गायब हो गया। दोस्त आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह मंदिर एक नहीं दो नहीं बल्कि पूरे 400 सालों तक दुनिया की नजरों से गायब रहा। फिर एक दिन यह मंदिर अचानक सबकी नजरों के सामने प्रकट हो गया जब आप इस मंदिर के गायब होने के पीछे के रहस्यों को सुनेंगे तो आपके होश उड़ जाएंगे।

केदारनाथ धाम के पास इन पांच नदियों का है संगम

केदारनाथ धाम में एक तरफ करीबन 22000 फुट ऊंचा केदार दूसरी तरफ करीबन 21600 फुट ऊंचा खर्च कुंड और तीसरी तरफ करीबन 22700 फुट ऊंचा भरत कुंड का पहाड़ ना सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि मंदाकिनी मधु गंगा खीरगंगा सरस्वती और स्वर्ण गोरी नामक यहां पर पांच नदियों का संगम भी है इन नदियों में अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है। इसी के किनारे है केदारेश्वर धाम यहां सर्दियों में भारी बर्फ और बारिश में जबरदस्त पानी रहता है वैसे तो केदारनाथ धाम के बारे में सामान्य जानकारियां जैसे कि केदारनाथ धाम कहां है केदारनाथ धाम किस लिए मशहूर है इन सब के बारे में भारत के सभी लोग करीबन करीबन जानते हैं लेकिन दोस्तों केदारनाथ धाम के 400 साल तक अदृश्य रहने की बात बहुत कम लोग जानते हैं।

आखिर कब बनाया गया था केदारनाथ धाम को

केदारनाथ मंदिर की उम्र को लेकर कोई दस्तावेज सबूत नहीं मिलते हैं इस बेहद मजबूत मंदिर को किसने बनाया इस के लिए कहते हैं कुछ कहते हैं 1076 से लेकर 1099 विक्रम संवत तक राज करने वाले मालवा के राजा भोज ने ये मंदिर बनवाया था तो कुछ कहते हैं कि आठवीं शताब्दी में यह मंदिर आदि गुरु शंकराचार्य ने बनवाया था मंदिर बनने की कुछ सालों बाद ये मंदिर तकरीबन 400 सालो तक सबकी नजरों से ओझल था और इस बात को वैज्ञानिकों ने भी प्रमाणित किया है विज्ञान के मुताबिक केदारनाथ मंदिर तकरीबन 400 सालों तक बर्फ के नीचे दबा था लेकिन फिर भी उसे कुछ नहीं हुआ शायद यही वजह है कि केदारनाथ मंदिर को इतने बड़े प्रलय से भी कोई फर्क नहीं पड़ा। 

केदारनाथ मंदिर के पत्थरों पर पड़े निशान का रहस्य

केदारनाथ मंदिर के पत्थरों पर पीली रेखाएं हैं वैज्ञानिकों के मुताबिक यह निशान दरअसल ग्लेशियर के रगड़ से बने हैं ग्लेशियर हर वक्त खिसकते रहते हैं जो वो खिसकते हैं तो उनके साथ ना सिर्फ बर्फ का वजन होता है बल्कि साथ ही वह जितनी चीजें लिए चलते हैं वह भी रगड़ खाते हुए चलती है अब जरा सोचिए जब करीबन 400 सालों तक मंदिर बर्फ से दबा हुआ था तो इस दौरान ग्लेशियर की कितनी रगड़ इन पत्थरों ने झेली होगी। दरअसल 1300 से लेकर 1900 इसवी को little ice age यानी छोटा भीम युग कहा जाता है। इस दौरान केदारनाथ मंदिर का यह पूरा इलाका बर्फ से दब गया था और केदारनाथ धाम का इलाका भी ग्लेशियर बन गया था।

पांडवों ने भी इस मंदिर के पीछे बनाया था एक मंदिर

दोस्तों आपको जानकारी आश्चर्य होगा किस मंदिर के पीछे पांडवों ने भी मंदिर बनवाया था लेकिन वह वक्त की मार ना सह सका और गायब हो गया। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने केदारनाथ इलाके कि lichenometry dating कि,lichenometry dating एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए पत्थरों और ग्लेशियर के जरिए उस पत्थर की उम्र का अंदाजा लगता है यह दरअसल उस जगह के शैवाल और कवक को मिलाकर उनके जरिए समय का अनुमान लगाने की तकनीक है इस डेटिंग के मुताबिक केदारनाथ धाम इलाके में ग्लेशियर का निर्माण 1900 सदी में मध्य में शुरू हुआ। इस घाटी में ग्लेशियर का बनना 1748 इसवी तक जारी रहा। अगर 400 साल तक यह मंदिर ग्लेशियर के बोझ को सह चुका है तो जाहिर है इसे बनाने की तकनीक बेहद खास रही होगी। 

जब आप केदारनाथ जाए तो ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ इस मंदिर को भी बहुत ध्यान और गर्व से देखिएगा क्योंकि यह मंदिर धर्म आस्था और विश्वास के उन्नत तकनीक का बेमिसाल जोड़ है। तो दोस्तो आज के लिए बस इतना ही जानकारी पसंद आया हो तो लाइक करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। हर हर महादेव

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