दोस्तो ये तो हम सब जानते है कि ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है ताजमहल के बारे में बहुत से लोग ये कहते है कि शाहजहां ने इसका निर्माण करवाने के बाद अपने सभी कारीगरों के हाथ कटवा दिए ताकि कोई और दूसरा इस ताजमहल जैसी इमारत ना बना पाए। लेकिन दोस्तों ये महज एक अफवाह थी। शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ नहीं कटवाए थे। इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां ने मजदूरों से वादा लिया था कि ये रखो तुम जिंदगी भर की पगार और आज के बाद तुम सभी कभी किसी के लिए काम नहीं करोगे।
आखिर क्या है काला ताजमहल बनाने का राज
और दोस्तों क्या आप जानते हैं कि इस ताजमहल के बनने के बाद शाहजहां काला ताजमहल भी बनवाना चाहते थे और वो भी इन्हीं कारीगरों से, इसी सफेद ताजमहल के आगे, तो आप खुद ही सोच सकते हैं कि आखिर जब शाहजहां को काला ताजमहल बनवाना था तो वह ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कैसे कटवा सकते थे। तथ्यों के अनुसार काले ताजमहल जिक्र सबसे पहले यूरोपीय यात्री याबेब्तीस ताबरनीय के लेख में मिलता है जो साल 1665 में भारत के आगरा शहर पहुंचा था। काले ताजमहल से जुड़ी कहानियों के अनुसार औरंगजेब शाहजहां के चार बेटों में सबसे छोटा था जिसकी सत्ता के लालच ने उसे परिवार के ही विरुद्ध खड़ा कर दिया था।
आखिर औरंगजेब ने क्यों नहीं बनाया काला ताजमहल?
औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने पिता शाहजहां तक को कैद कर लिया था और कई सालों तक उसे जेल में बंद रखा। लेकिन 22 जनवरी सन 1966 को शाहजहां की मृत्यु हो गई। औरंगजेब को इस्लाम के अनुसार पूरी रस्मों के साथ उनके शव को कब्र में दफनाना था। सब तैयारी चल रही थी तभी औरंगजेब को शाहजहां की मृत्यु से संबंधित वसीहत पढ़कर सुनाई गई जिसमें काले ताजमहल का जिक्र करते हुए शाहजहां के शव को वहां पर दफनाने की बात कही गई थी। औरंगजेब को काला ताजमहल बनवाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि मुगल सल्तनत पर हो रहे हमलों से शाही खजाना पूरा खाली हो रहा था और अगर औरंगजेब काला ताजमहल बनवाता तो उसे उतना ही भव्य बनवाना पड़ता जितना उसके पिता ने उसकी मां के लिए सफेद ताजमहल बनवाया था। जिससे शाही खजाने से धन की बर्बादी होती इसके अलावा औरंगजेब धार्मिक क्रियाओं में भी कोई दिलचस्पी नहीं रखता था जिस वजह से इतना भव्य मकबरा बनाना उसके लिए तो एक फिजूलखर्ची थी। जिस वजह से औरंगजेब ने इस्लाम के कुछ कायदों का हवाला देते हुए शाहजहां का मकबरा ताजमहल के पास ही बनवा दिया और काले ताजमहल का राज वसीयत के साथ ही दफन हो गया और दोस्तों क्या आप जानते हैं कि इस ताजमहल का निर्माण कैसे हुआ।
कैसे बनाया गया इस संगमरमर के ताजमहल को?
आपको बता दें कि 42 एकड़ में फैले इस अद्भुत ताजमहल को बनाने के लिए करीब 20,000 से अधिक मजदूर लगाए गए थे और 22 वर्षों में ताजमहल बनकर पूरा हुआ। इस दौरान एक हजार हाथियों से काम लिया गया जो संगमरमर के पत्थरों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करते थे इसके निर्माण में 28 प्रकार के पत्थरों का प्रयोग किया गया था। इन पत्थरों का ही कमाल है कि ताजमहल सुबह गुलाबी दिन में सफेद और पूर्णिमा की रात को क्या गजब का सुनहरा नजर आता है आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि ताजमहल की इमारत एक लकड़ी पर बनाई गई है इस लकड़ी को नमी की जरूरत होती है जैसे जैसे इसे नमी मिलती है ये और मजबूत होती जाती है यही कारण है कि ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे किया गया जिस वजह से ये अजूबा इमारत आने वाले कई सालों तक यूं ही सलामत रहेगा। ताजमहल के निर्माण के समय बादशाह शाहजहां ने इस के शिखर पर सोने का कलश लगवाया था इसकी लंबाई 30 फुट 6 इंच लंबी थीं कलश में 40 हजार तोला सोना लगा था इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि ताजमहल के कलश को तीन बार बदला गया। आगरा के किले को साल 1803 में हथियाने के बाद से ही अंग्रेजों की नजर ताजमहल पर थी साल 1810 में अंग्रेजी सेना के अफसर Joseph trailer ने ताजमहल के ऊपर लगा सोने का कलश उतरवा दिया वैसा ही तांबे का कलश लगवा दिया। अगर वह सोने की कलश आज भी वहां होती तो उसकी कीमत 137 करोड़ रुपए होती।

0 Comments